Next Story
Newszop

डार्क फाइबर नेटवर्क: डिजिटल युग की नई नींव और इसके लाभ

Send Push
डार्क फाइबर नेटवर्क की परिभाषा

Dark Fiber Network Kya Hai

डार्क फाइबर नेटवर्क क्या है: आज के डिजिटल युग में इंटरनेट केवल एक साधन नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। मोबाइल चैटिंग से लेकर वीडियो स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन कक्षाओं से लेकर वर्चुअल मीटिंग्स तक, सभी गतिविधियाँ इंटरनेट पर निर्भर करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस विशाल और तेज़ डेटा नेटवर्क की आधारशिला क्या है? यह आधार है एक अदृश्य लेकिन अत्यधिक शक्तिशाली संरचना, जिसे डार्क फाइबर नेटवर्क कहा जाता है।


डार्क फाइबर नेटवर्क की विशेषताएँ डार्क फाइबर नेटवर्क क्या है?

image


डार्क फाइबर एक प्रकार की फाइबर-ऑप्टिक केबल है, जिसे पहले से जमीन में बिछाया गया है, लेकिन उस समय इसमें कोई डेटा ट्रांसमिशन नहीं हो रहा होता। चूंकि डेटा को प्रकाश के माध्यम से भेजा जाता है, इसलिए जब इस केबल में कोई प्रकाश नहीं होता, तो यह निष्क्रिय रहती है, और इसे 'डार्क फाइबर' कहा जाता है। यह केबल भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पहले से बिछाई जाती है, ताकि जब डेटा की मांग बढ़े, तो इसे तुरंत सक्रिय किया जा सके। जब इस केबल पर डेटा ट्रांसमिशन शुरू होता है, तो यह 'लाइट अप' होकर सक्रिय हो जाती है और उच्च गति की कनेक्टिविटी प्रदान करती है। डार्क फाइबर आज के डिजिटल युग में नेटवर्क विस्तार और लचीली कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
डार्क फाइबर का इतिहास डार्क फाइबर का इतिहास

image


1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता के चलते दूरसंचार कंपनियों ने बड़े पैमाने पर फाइबर-ऑप्टिक केबल बिछाने का कार्य शुरू किया। उनका मानना था कि भविष्य में इंटरनेट ट्रैफिक में वृद्धि होगी और नेटवर्क की मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त अवसंरचना की आवश्यकता होगी। इसी सोच के तहत कई अतिरिक्त केबल्स पहले से ही बिछाई गईं। हालांकि, तकनीकी प्रगति, विशेष रूप से वेवलेंथ डिवीजन मल्टिप्लेक्सिंग (WDM) जैसी तकनीकों ने मौजूदा फाइबर की क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया, जिससे नई केबल्स की आवश्यकता नहीं पड़ी। परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में बिछाई गई केबल्स निष्क्रिय रह गईं और इन्हें 'डार्क फाइबर' कहा जाने लगा।
डार्क फाइबर का कार्यप्रणाली डार्क फाइबर कैसे काम करता है?

image


डार्क फाइबर नेटवर्क संरचना सामान्य फाइबर-ऑप्टिक नेटवर्क के समान होती है, लेकिन इसका सबसे बड़ा अंतर इसके नियंत्रण और संचालन में होता है। इस नेटवर्क को उपयोगकर्ता जैसे कंपनियाँ, विश्वविद्यालय, बैंक या डेटा सेंटर स्वयं संचालित करते हैं। वे फाइबर-ऑप्टिक केबल को किराए पर लेकर या खरीदकर अपनी आवश्यकताओं के अनुसार एक स्वतंत्र नेटवर्क तैयार करते हैं। इसके लिए वे स्वयं ट्रांसमिशन उपकरण जैसे राउटर, स्विच और ऑप्टिकल ट्रांसमिटर स्थापित करते हैं, जिससे नेटवर्क का पूरा नियंत्रण उनके हाथ में रहता है। इस तरह डार्क फाइबर उपयोगकर्ताओं को न केवल उच्च गति डेटा ट्रांसफर की सुविधा देता है, बल्कि एक सुरक्षित और निजी नेटवर्किंग समाधान भी उपलब्ध कराता है, जो संवेदनशील और भारी डेटा ट्रैफिक संभालने के लिए आदर्श होता है।
डार्क फाइबर के लाभ डार्क फाइबर नेटवर्क के लाभ

image


डार्क फाइबर नेटवर्क उपयोगकर्ताओं को लगभग असीमित बैंडविड्थ और उच्च गति प्रदान करता है, क्योंकि नेटवर्क पर पूरा नियंत्रण उनके पास होता है। वेवलेंथ डिवीजन मल्टीप्लेक्सिंग (WDM) जैसी तकनीकों के कारण एक ही फाइबर पर कई चैनल और उच्च गति (जैसे 100Gbps प्रति वेवलेंथ) संभव है।

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता - डार्क फाइबर नेटवर्क में डेटा थर्ड-पार्टी नेटवर्क से नहीं गुजरता, जिससे सुरक्षा और गोपनीयता बढ़ती है। यह नेटवर्क अलगाव में काम करता है, जिससे संवेदनशील डेटा के लिए यह आदर्श बन जाता है। इसी वजह से सरकारी एजेंसियां, वित्तीय संस्थान और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्र डार्क फाइबर को प्राथमिकता देते हैं।

कम समय में डेटा ट्रांसफर (Low Latency) - डार्क फाइबर नेटवर्क में लो लेटेंसी होती है, क्योंकि डेटा डायरेक्ट और समर्पित कनेक्शन से गुजरता है, जिससे रीयल-टाइम कम्युनिकेशन, हाई-फ्रिक्वेंसी ट्रेडिंग और अन्य समय-संवेदी कार्यों के लिए यह उपयुक्त है।

अनुकूलन योग्य नेटवर्क - इस नेटवर्क में उपयोगकर्ता अपनी जरूरत के अनुसार नेटवर्क की संरचना, क्षमता, सुरक्षा और अन्य पैरामीटर कस्टमाइज कर सकते हैं, जो पारंपरिक ISPs के साथ संभव नहीं होता।


डार्क फाइबर के उपयोग क्षेत्र डार्क फाइबर के प्रयोग क्षेत्र

image


बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर - बैंकिंग संस्थाएं और वित्तीय सेवाएं डार्क फाइबर नेटवर्क का उपयोग करती हैं ताकि डेटा केंद्रों को सुरक्षित रूप से जोड़ सकें और ट्रेडिंग जैसे कार्यों के लिए कम विलंबता (लो लेटेंसी) और उच्च सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

स्वास्थ्य सेवाएं (Healthcare) - अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा संगठनों के लिए डार्क फाइबर सुरक्षित और तेज़ डेटा ट्रांसफर का विकल्प है, जिससे संवेदनशील मरीज डेटा का सुरक्षित आदान-प्रदान संभव होता है।

रक्षा और खुफिया एजेंसियाँ - सरकारी एजेंसियां, विशेष रूप से रक्षा और खुफिया विभाग, संवेदनशील और गोपनीय सूचनाओं की सुरक्षा के लिए डार्क फाइबर नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं।

विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान - उच्च गुणवत्ता और बड़ी मात्रा में डेटा के आदान-प्रदान के लिए विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान और डेटा सेंटर डार्क फाइबर नेटवर्क का उपयोग करते हैं।


भारत में डार्क फाइबर नेटवर्क की स्थिति भारत में डार्क फाइबर नेटवर्क की स्थिति

image


भारत में डिजिटल क्रांति के साथ डार्क फाइबर नेटवर्क का भी विस्तार हो रहा है। सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में इसे अपनाया जा रहा है।

भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) और भारतनेट - भारतनेट परियोजना के तहत देश की लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाया जा रहा है। इस नेटवर्क का एक बड़ा हिस्सा भविष्य की जरूरतों के लिए डार्क फाइबर के रूप में संरक्षित है, जिसे बाद में सक्रिय किया जा सकता है।

रेलटेल (RailTel) - रेलटेल, भारतीय रेलवे के अधीन, पूरे देश में रेलवे ट्रैक के साथ-साथ बड़े पैमाने पर फाइबर नेटवर्क बिछा रहा है, जिसमें डार्क फाइबर का भी बड़ा हिस्सा है। इस डार्क फाइबर का उपयोग विभिन्न सरकारी और निजी संस्थाएं अपनी जरूरत के अनुसार करती हैं।

निजी क्षेत्र की भागीदारी - जियो, एयरटेल, टाटा जैसी निजी कंपनियां भी डार्क फाइबर इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग और उसमें निवेश कर रही हैं। डेटा सेंटर्स, क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स और मल्टीनेशनल कंपनियां भी अपने नेटवर्क विस्तार के लिए डार्क फाइबर का इस्तेमाल कर रही हैं।


डार्क फाइबर से जुड़ी चुनौतियाँ डार्क फाइबर से जुड़ी चुनौतियाँ

image


उच्च लागत - डार्क फाइबर नेटवर्क स्थापित करने के लिए शुरुआती निवेश (फाइबर किराये/खरीद, ट्रांसमिशन उपकरण, इंस्टॉलेशन आदि) काफी अधिक होता है। यह लागत पारंपरिक इंटरनेट सेवा की तुलना में बहुत ज्यादा हो सकती है, खासकर छोटे संगठनों के लिए।

रखरखाव और प्रबंधन - डार्क फाइबर नेटवर्क में पूरा नेटवर्क उपयोगकर्ता को स्वयं संचालित और बनाए रखना होता है। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञता, समर्पित आईटी टीम और समय की आवश्यकता होती है। यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासकर उन संस्थाओं के लिए जिनके पास पर्याप्त तकनीकी संसाधन नहीं हैं।

नियम और अनुमति - डार्क फाइबर नेटवर्क के विस्तार के लिए सरकारी नीतियों, लाइसेंसिंग, और ट्रांसपोर्ट रूट्स (जैसे सड़क, रेलवे, आदि) की अनुमति जरूरी होती है। कई बार इन प्रक्रियाओं में कानूनी अड़चनें और देरी आ सकती है, जिससे नेटवर्क विस्तार में बाधा आती है।


भविष्य की संभावनाएँ भविष्य की संभावनाएँ

डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटी, 5G और IoT जैसे अभियानों के तेजी से विस्तार के चलते भारत में हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी और सुरक्षित कनेक्टिविटी की मांग लगातार बढ़ रही है। इस मांग को पूरा करने के लिए डार्क फाइबर नेटवर्क एक प्रभावी समाधान के रूप में उभर रहा है। विशेषकर 5G और IoT जैसी तकनीकों के लिए बड़े पैमाने पर फाइबर नेटवर्क की आवश्यकता है, और भारत में फाइबर कनेक्टिविटी को दोगुना करने की आवश्यकता को भी नीतिगत स्तर पर स्वीकार किया गया है। एज कंप्यूटिंग और लोकल डेटा प्रोसेसिंग के लिए भी डार्क फाइबर बेहद आवश्यक है, क्योंकि यह यूज़र के नजदीक तेज़ डेटा प्रोसेसिंग सुनिश्चित करता है और नेटवर्क लेटेंसी को न्यूनतम करता है। साथ ही, भारत में डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और उसे वैश्विक डेटा सेंटर हब के रूप में विकसित करने के लिए मजबूत और सुरक्षित कनेक्टिविटी की जरूरत है, जिसमें डार्क फाइबर की भूमिका केंद्रीय है। इसके अलावा, बढ़ते साइबर खतरों और डिजिटल लेन-देन की संवेदनशीलता को देखते हुए, निजी और सुरक्षित नेटवर्क की आवश्यकता भी तेजी से बढ़ रही है, जिसे डार्क फाइबर नेटवर्क प्रभावी रूप से पूरा कर सकता है।


Loving Newspoint? Download the app now